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एक बड़ा लक्ष्य तय करें और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं

एक बड़ा लक्ष्य तय करे और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, एक सपना देखो, किसी सपने के लिए प्रयासरत हुए बिना अपने उज्जवल भविष्य की रचना आपके लिए कदाचित संभव न हो। जो कुछ उपलब्धि चाहते हो  सपनों के पीछे पड़ जाना मानव स्वभाव के ताने-बाने में विद्यमान है, क्योंकि आपने अब तक भविष्य के बारे में विचार प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं की है। यदि आप स्वयं को आदर्शविहीन पायें तो अपने खास सपने की खोज करें एवं भविष्य की रचना में जुट जायें। उस सपने को सच बनाने का प्रयास प्रारंभ करना ही आपका अगला कदम है। सर्वप्रथम, यह आवश्यक है कि आपने सपना देख लिया है, किन्तु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप उसे साकार करने में प्रयासरत हों; सुनने में यह बात ठीक लगती है किन्तु वैसा कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे स्वप्नदृष्टा न बनें जिसे केवल सपनों के सच होने का इंतजार रहता है। सपनों का सच होना उस दिशा में किये गये प्रयास के आकार एवं उसके लिए आपके आग्रह का ही परिणाम है।  मैं नहीं चाहता कि कोई भी अपने आदशों के बारे में सपने देखते हुए जीवन-यात्रा करे। अतः लगातार स्वयं से प्रश्न करते रहें "इस सपने को सच क...

समय की लॉग बुक रखें।

जिस तरह आप पैसों का बजट बनाते हैं, उसी तरह समय का भी बजट बनाएँ। बजट बनाने के लिए आपको यह हिसाब लगाना होता है कि आपका पैसा कहाँ खर्च हो रहा है। समय के मामले में भी यही नीति अपनाएँ। एक डायरी लें और एक सप्ताह तक यह रिकॉर्ड रखें कि आप किस काम में कितना समय ख़र्च कर रहे हैं। ड्राइवरों की भाषा में इसे लॉग बुक कहा जाता है, जिसमें वे लिखते हैं कि गाड़ी कितने किलोमीटर चली और कहाँ तक चली। समय की अपनी लॉग बुक में आप जितना बारीक हिसाब रखेंगे, आपको उतना ही ज़्यादा फ़ायदा होगा। और हाँ, लॉग बुक के पहले कॉलम में गतिविधि के बजाय घंटे लिखें, ताकि कोई महत्वपूर्ण अंतराल न छूट पाए : सुबह 6-6:30 उठना, चाय बनाना, नित्य कर्म सुबह 6:30-7 पड़ोसी से बातचीत करना, अखबार पढ़ना सुबह 7-7:30 टी.वी. न्यूज़ देखना सुबह 7:30-8 नहाना और पूजा-पाठ करना सुबह 8-9 नाश्ता, तैयार होना सुबह 9-शाम 6 ऑफिस जाना शाम 6-7 आराम करना, टी.वी. देखना शाम 7-9 दोस्तों की पार्टी, कार्यक्रम या समारोह में जाना रात 9-10 टी.वी. देखना रात 10-सुबह 6 सोना दिन भर में मोबाइल फोन पर बातचीत :45 मिनट आप चाहें, तो लॉग बुक बनाने का काम कंप्यूटर में एक्सेल शी...

समय की कमी

क्या आपने कभी सोचा है कि आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ? समय पर काम न करने या होने पर हम झल्ला जाते हैं, आग बबूला हो जाते हैं, चिढ़ जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं। समय की कमी के चलते हम लगभग हर पल जल्दबाज़ी और हड़बड़ी में रहते हैं। इस चक्कर में हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, लोगों से हमारे संबंध ख़राब हो जाते हैं, हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। क्या आपने कभी यह बात सोची है: हमारे पूर्वजों को कभी टाइम मैनेजमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ी, तो फिर हमें क्यों पड़ रही है? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में 48 घंटे मिलते थे और हमें केवल 24 घंटे ही मिल रहे हैं? आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूँ कि ऐसा नहीं है! हर पीढ़ी को एक दिन में 24 घंटे का समय ही मिला है। लेकिन बीसवीं सदी की शुरुआत से हमारे जीवन में समय कम पड़ने लगा है और यह समस्या दिनो दिन बढ़ती ही जा रही है। बड़ी अजीव बात है, क्योंकि बीसवीं सदी की शुरुआत से ही मनुष्य समय बचाने वाले नए-नए उपकरण बनाता जा रहा है। बीसवीं सदी ...