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यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें

हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...

समय की लॉग बुक रखें।

जिस तरह आप पैसों का बजट बनाते हैं, उसी तरह समय का भी बजट बनाएँ। बजट बनाने के लिए आपको यह हिसाब लगाना होता है कि आपका पैसा कहाँ खर्च हो रहा है। समय के मामले में भी यही नीति अपनाएँ। एक डायरी लें और एक सप्ताह तक यह रिकॉर्ड रखें कि आप किस काम में कितना समय ख़र्च कर रहे हैं। ड्राइवरों की भाषा में इसे लॉग बुक कहा जाता है, जिसमें वे लिखते हैं कि गाड़ी कितने किलोमीटर चली और कहाँ तक चली। समय की अपनी लॉग बुक में आप जितना बारीक हिसाब रखेंगे, आपको उतना ही ज़्यादा फ़ायदा होगा। और हाँ, लॉग बुक के पहले कॉलम में गतिविधि के बजाय घंटे लिखें, ताकि कोई महत्वपूर्ण अंतराल न छूट पाए : सुबह 6-6:30 उठना, चाय बनाना, नित्य कर्म सुबह 6:30-7 पड़ोसी से बातचीत करना, अखबार पढ़ना सुबह 7-7:30 टी.वी. न्यूज़ देखना सुबह 7:30-8 नहाना और पूजा-पाठ करना सुबह 8-9 नाश्ता, तैयार होना सुबह 9-शाम 6 ऑफिस जाना शाम 6-7 आराम करना, टी.वी. देखना शाम 7-9 दोस्तों की पार्टी, कार्यक्रम या समारोह में जाना रात 9-10 टी.वी. देखना रात 10-सुबह 6 सोना दिन भर में मोबाइल फोन पर बातचीत :45 मिनट आप चाहें, तो लॉग बुक बनाने का काम कंप्यूटर में एक्सेल शी...

समय की कमी

क्या आपने कभी सोचा है कि आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ? समय पर काम न करने या होने पर हम झल्ला जाते हैं, आग बबूला हो जाते हैं, चिढ़ जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं। समय की कमी के चलते हम लगभग हर पल जल्दबाज़ी और हड़बड़ी में रहते हैं। इस चक्कर में हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, लोगों से हमारे संबंध ख़राब हो जाते हैं, हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। क्या आपने कभी यह बात सोची है: हमारे पूर्वजों को कभी टाइम मैनेजमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ी, तो फिर हमें क्यों पड़ रही है? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में 48 घंटे मिलते थे और हमें केवल 24 घंटे ही मिल रहे हैं? आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूँ कि ऐसा नहीं है! हर पीढ़ी को एक दिन में 24 घंटे का समय ही मिला है। लेकिन बीसवीं सदी की शुरुआत से हमारे जीवन में समय कम पड़ने लगा है और यह समस्या दिनो दिन बढ़ती ही जा रही है। बड़ी अजीव बात है, क्योंकि बीसवीं सदी की शुरुआत से ही मनुष्य समय बचाने वाले नए-नए उपकरण बनाता जा रहा है। बीसवीं सदी ...