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यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें

हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...

धन संपत्ति के मामले में आपकी सोच...?

मैंने अपने कॉलेज के वर्ष लॉस एन्जेलस के एक बढ़िया होटल में सेवक के रूप में बिताये। वहाँ एक तकनीकी कार्यकारी अतिथि के रूप में अक्सर आया करता था। वह काफ़ी प्रतिभावान था, उसने लगभग 20 वर्ष से कुछ ही अधिक की आयु में वाई- फ़ाई का एक मुख्य घटक डिज़ाइन कर पेटेंट किया था। वह कई कंपनियां शुरु करके बेच चुका था और बेतहाशा कामयाब था।

धन संपत्ति के साथ उसका जो संबंध था, उसे मैं असुरक्षा और बचकानी मूर्खता का मेल कहूँगा। वह सौ डॉलर के नोटों की कई इंच मोटी गड्डी साथ लेकर घूमता था, जिसे वह हर किसी को दिखाता था, फिर चाहे वे देखना चाहते हों या नहीं। वह बिना किसी संदर्भ के अपनी धन सम्पदा की खुलकर डींग मारता, ख़ासकर जब वह नशे में धुत होता। एक दिन उसने मेरे एक सहकर्मी को कई हज़ार डॉलर की रकम दी और कहा, "गली में जो ज़वाहरात की दुकान है, वहाँ जाओ और 1000 डॉलर के कुछ सोने के सिक्के लेकर आओ।"

एक घंटे बाद, हाथ में सोने के सिक्के लिये, वह कार्यकारी और उसके दोस्त एक डॉक के चारों तरफ़ इकट्ठा हो गये जो प्रशांत महासागर के सामने था। फिर उन्होंने उन सिक्कों को पानी में फेंकना शुरू कर दिया। वे उन सिक्कों को कंकरों की तरह उछालते, और फिर किसका सिक्का सबसे दूर गया, इस बात पर बहस करते और ठहाके मार कर हँसते। सिर्फ़ मनोरंजन के लिये।

कुछ दिनों बाद उसने होटल के रेस्त्रां में एक लैंप तोड़ दिया। एक मैनेजर ने उससे कहा कि वह 500 डॉलर का लैंप था और उसे उसकी भरपाई करनी होगी। "तुम्हें 500 डॉलर चाहिये?" कार्यकारी ने अविश्वासपूर्वक पूछा। और जेब से नोटों की एक गट्टी निकाल कर मैनेजर को देते हुए कहा, "ये रहे पाँच हज़ार डॉलर। अब मेरे सामने से दफ़ा हो जाओ। और फिर कभी भी दोबारा इस तरह मेरी बेइज्जती मत करना।"

आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इस तरह का व्यवहार कब तक चल सकता था, और इसका जवाब है "ज़्यादा दिन नहीं"। कई वर्षों बाद मुझे पता चला कि वह दिवालिया हो गया।

इस कहानी का आधार यह है कि धन-संपत्ति के मामले में आप कितना अच्छा प्रबंधन करते हैं, यह इस पर कम निर्भर करता है कि आप कितने होशियार है और इस पर ज़्यादा कि आपका व्यवहार कैसा है। और व्यवहार सिखाना कठिन कार्य है, उन्हें भी जो वास्तव में होशियार है।

एक प्रतिभाशाली व्यक्ति, जो अपनी भावनाओं का नियंत्रण खो दे, एक वित्तीय आपदा हो सकता है। इसका विपरीत भी उतना ही सत्य है। सामान्य व्यक्ति जिन्हें वित्तीय ज्ञान नहीं है, धनी हो सकते हैं अगर उनके पास कुछ ऐसे व्यावहारिक कौशल हों जिनके लिये बुद्धिमत्ता की औपचारिक युक्तियों की आवश्यकता नहीं होती।

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