मैंने अपने कॉलेज के वर्ष लॉस एन्जेलस के एक बढ़िया होटल में सेवक के रूप में बिताये। वहाँ एक तकनीकी कार्यकारी अतिथि के रूप में अक्सर आया करता था। वह काफ़ी प्रतिभावान था, उसने लगभग 20 वर्ष से कुछ ही अधिक की आयु में वाई- फ़ाई का एक मुख्य घटक डिज़ाइन कर पेटेंट किया था। वह कई कंपनियां शुरु करके बेच चुका था और बेतहाशा कामयाब था।
धन संपत्ति के साथ उसका जो संबंध था, उसे मैं असुरक्षा और बचकानी मूर्खता का मेल कहूँगा। वह सौ डॉलर के नोटों की कई इंच मोटी गड्डी साथ लेकर घूमता था, जिसे वह हर किसी को दिखाता था, फिर चाहे वे देखना चाहते हों या नहीं। वह बिना किसी संदर्भ के अपनी धन सम्पदा की खुलकर डींग मारता, ख़ासकर जब वह नशे में धुत होता। एक दिन उसने मेरे एक सहकर्मी को कई हज़ार डॉलर की रकम दी और कहा, "गली में जो ज़वाहरात की दुकान है, वहाँ जाओ और 1000 डॉलर के कुछ सोने के सिक्के लेकर आओ।"
एक घंटे बाद, हाथ में सोने के सिक्के लिये, वह कार्यकारी और उसके दोस्त एक डॉक के चारों तरफ़ इकट्ठा हो गये जो प्रशांत महासागर के सामने था। फिर उन्होंने उन सिक्कों को पानी में फेंकना शुरू कर दिया। वे उन सिक्कों को कंकरों की तरह उछालते, और फिर किसका सिक्का सबसे दूर गया, इस बात पर बहस करते और ठहाके मार कर हँसते। सिर्फ़ मनोरंजन के लिये।
कुछ दिनों बाद उसने होटल के रेस्त्रां में एक लैंप तोड़ दिया। एक मैनेजर ने उससे कहा कि वह 500 डॉलर का लैंप था और उसे उसकी भरपाई करनी होगी। "तुम्हें 500 डॉलर चाहिये?" कार्यकारी ने अविश्वासपूर्वक पूछा। और जेब से नोटों की एक गट्टी निकाल कर मैनेजर को देते हुए कहा, "ये रहे पाँच हज़ार डॉलर। अब मेरे सामने से दफ़ा हो जाओ। और फिर कभी भी दोबारा इस तरह मेरी बेइज्जती मत करना।"
आप सोच रहे होंगे कि आख़िर इस तरह का व्यवहार कब तक चल सकता था, और इसका जवाब है "ज़्यादा दिन नहीं"। कई वर्षों बाद मुझे पता चला कि वह दिवालिया हो गया।
इस कहानी का आधार यह है कि धन-संपत्ति के मामले में आप कितना अच्छा प्रबंधन करते हैं, यह इस पर कम निर्भर करता है कि आप कितने होशियार है और इस पर ज़्यादा कि आपका व्यवहार कैसा है। और व्यवहार सिखाना कठिन कार्य है, उन्हें भी जो वास्तव में होशियार है।
एक प्रतिभाशाली व्यक्ति, जो अपनी भावनाओं का नियंत्रण खो दे, एक वित्तीय आपदा हो सकता है। इसका विपरीत भी उतना ही सत्य है। सामान्य व्यक्ति जिन्हें वित्तीय ज्ञान नहीं है, धनी हो सकते हैं अगर उनके पास कुछ ऐसे व्यावहारिक कौशल हों जिनके लिये बुद्धिमत्ता की औपचारिक युक्तियों की आवश्यकता नहीं होती।
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