अक्सर हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है कि हमारे सामने जो काम आता है, हम उसे करने लग जाते हैं और इस वजह से हमारा सारा समय छोटे-छोटे कामों को निबटाने में ही चला जाता है। हमारे महत्वपूर्ण काम सिर्फ़ इसलिए नहीं हो पाते, क्योंकि हम महत्वहीन कामों में उलझे रहते हैं। महत्वाकांक्षी व्यक्ति को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि सफलता पाने के लिए यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण काम पहले किए जाएँ। हमेशा याद रखें कि सफलता महत्वहीन नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण कामों से मिलती है, इसलिए अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट रखें और अपना समय महत्वहीन कामों में न गँवाएँ। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का तीसरा सिद्धांत है : सबसे महत्वपूर्ण काम सबसे पहले करें। समय के संबंध में अपनी प्राथमिकताएँ तय करने का एक उदाहरण देखें। 'एक मशहूर संगीतज्ञ जब वायलिन बजाना सीख रही थीं, तो उन्होंने पाया कि उनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। कारण खोजने पर उन्हें पता चला कि संगीत का अभ्यास करने से पहले घर साफ़ करने, सामान व्यवस्थित करने, खाना पकाने आदि कार्यों में उनका बहुत समय लग जाता है, इसलिए उन्हें वायलिन के अभ्यास के लिए कम समय मिल पाता ह
सीखने की अयोग्यताओं पर फार्च्यून पत्रिका में एक लेख छपा था, व्यवसायियों पर केंद्रित इस लेख का निष्कर्ष था कि फॉर्च्यून 500 कॉरपोरेशन के बहुत से प्रेसिडेंट्रस और सीनियर एक्जीक्यूटिव्स को स्कूल में खास प्रतिभाशाली या सक्षम नहीं माना जाता था, लेकिन मेहनत की बदौलत उन्होंने बाद में अपने उद्योग में भारी सफलता हासिल की।
थॉमस एडिसन को छठे ग्रेड में स्कूल से निकाल दिया गया था, टीचर्स ने उनके माता-पिता से साफ-साफ कह दिया था कि उन्हें कुछ सिखाने की कोशिश करना समय की बर्बादी है क्योंकि वे कुछ भी नहीं सीख सकते, और कतई स्मार्ट नहीं है, एडिसन बाद में जाकर आधुनिक युग के सबसे महान आविष्कारक बने।
खुद को सीमित करने वाले विश्वास कई बार तो सिर्फ एक अनुभव या टिप्पणी पर ही आधारित होते हैं, दुखद बात यह है कि उनकी वजह से आप वर्षों तक रुके रहते हैं, ज्यादातर लोग जिस क्षेत्र में खुद को अयोग्य मानते थे, बाद में उन्होंने उसी में महारत हासिल की।
लेखक लुइसे हे के अनुसार जीवन में हमारी ज्यादातर समस्याओं की जड़ इस भावना में है कि "मैं पर्याप्त अच्छा नहीं हूं।"
डॉ.अल्फ्रेड एल्डर ने कहा है कि पाश्चात्य व्यक्ति की नैसर्गिक विरासत "हीनता" की भावनाएं हैं, जो बचपन में ही शुरू हो जाती हैं, और अधिकांशत: आजीवन चलती रहती है।
अपने नकारात्मक विश्वासो, जिनमें से ज्यादातर गलत होते हैं, की वजह से कई लोग अकारण ही अपनी बुद्धि, प्रतिभा, क्षमता, रचनात्मकता या योग्यताओं को सीमित मान लेते हैं, लगभग हर मामले में यह विश्वास झूठे होते हैं।
डॉ. हॉवर्ड गार्डनर के अनुसार आपमें कम से कम दस अलग अलग बुद्धियाँ होती हैं, जिनमें से किसी एक में आप जीनियस हो सकते हैं, स्कूल कॉलेज में सिर्फ दो ही बुद्धियों को नापा जाता है, और उन्हीं पर ध्यान दिया जाता है, शाब्दिक और गणितीय।
एक साइन बोर्ड पर लिखा था "ईश्वर {गॉड} घटिया सामान नहीं बनाता।" हर इंसान में किसी न किसी क्षेत्र में उत्कृष्ट बनने की क्षमता होती है आपका काम तो यह पता लगाना है कि उसकी उत्कृष्टता किसमें है।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।