हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...
वियान में बिताया यह समय मेरे जीवन का सबसे अधिक उदासीनता का समय था आज भी उसकी स्मृति मुझे अत्यंत उदासीन बना देती है, फेसियन कस्बे में किस प्रकार मैंने गरीबी के पांच वर्ष बिताए, और उन पांच वर्षों में किस कठिनाई से मैं अपनी आजीविका कमाता था, यह सब बड़ा ही दुखद है।
मैं पहले दैनिक श्रमिक रूप में और फिर लघु चित्रों के निर्माता चित्रकार के रूप में जीवन जीता था, यह दोनों धंधे बहुत कम आय वाले थे, इनसे होने वाली आय से तो मेरी भूख भी पूरी तरह नहीं मिटती थी, अब मैं क्या कहूं यह भूख तो मेरे जीवन की स्थाई साथी बन गई, जिसने मुझे कभी भी नहीं छोड़ा, मेरी हर आवश्यकता के साथ जुड़ी रही, मेरे लिए पुस्तक खरीदने का अर्थ था आने वाले दिनों में भूखा रहना।
फेसियन जाति के एक व्यक्ति से मेरी मित्रता हो गई, इस बेदर्द मित्र के साथ मेरा हमेशा झगड़ा रहता था, परंतु फिर भी उस दौरान इस मित्र से मैंने जितना सीखा उतना पहले कभी नहीं सीखा था, कभी वास्तुकला के अध्ययन के लिए तो कभी संगीत समारोह में जाने के लिए और फिर कभी पुस्तकें खरीदने के लिए मुझे भूखा रहना पड़ता था, इन तीनों के अतिरिक्त मुझे जीवन में और कुछ अच्छा नहीं लगता था।
मैंने उन दिनों बहुत पढ़ा और पढ़ने के बाद उस पर गंभीरता से मनन किया, काम करने के बाद जितना समय बचता था, मैं निष्ठापूर्वक अध्ययन करता था, इस तरह कुछ ही वर्षों में मैंने ज्ञान का बृहद भंडार एकत्रित कर लिया, जो आज भी मेरे लिए लाभदायक हैं।
उन वर्षों में मेरे मस्तिष्क में जीवन और संसार के प्रति एक निश्चित दृष्टिकोण स्थिर हो गया, और यह उस समय मेरे आचरण के स्थायी आधार बन गये, तब से इस आधार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
आज मेरा पक्का विश्वास है, कि सामान्यतया यौवन में ही रचनात्मक विचारों का आधार तैयार होता है, चाहे वे विचार कैसे भी क्यों न हो, मैं आयु की बुद्धिमता और यौवन की रचनात्मक प्रतिभा में अंतर करता हूं, आयु की बुद्धिमता अधिक गहराई और दूरदर्शिता से पैदा होती है, जो लंबे जीवन के अनुभवों पर आधारित होती है।
जबकि यौवन की प्रतिभा विचारों और धारणाओं की असीम शक्ति से अंकुरित होती है, परंतु जिन्हें आधिक्य के कारण व्यवहार में नहीं लाया जा सकता, यह भविष्य के लिए भवन सामग्री और योजनाएं उपलब्ध करवाती है, यदि वर्षों की बुद्धिमता ने यौवन की रचनात्मक प्रतिभा को न बुझा दिया हो तो उनसे ही आयु के पत्थर लेकर इमारत का निर्माण होता है।
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