सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें

हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...

हिटलर का सरकारी नौकर न बनने का निश्चय

समय का वह दौर था, जब मैंने अपने जीवन के प्रारंभिक ध्येय निश्चित करने शुरू किये, मेरा ख्याल है कि मेरे अंदर छिपा हुआ बोलने का गुण अब विकसित और निश्चित रूप धारण कर रहा था मैं अपने साथियों से थोड़ी बहुत परंतु जोरदार बहस किया करता था, मैं अब एक ऐसा किशोर नेता बन चुका था। 

एक बार पिताजी की किताबों को उलटते पलटते मेरे हाथ कुछ ऐसे प्रकाशन लगे, जो सैनिक विषयों से संबंधित थे, इन प्रकाशनों में से एक पुस्तिका सन 1870–71 के फ्रांसीसी–जर्मन युद्ध के लोकप्रिय इतिहास से संबंधित थी,

 यह उन वर्षों की घटनाओं से जुड़ी दो खंडों में विभक्त एक प्रसिद्ध पत्रिका थी, पढ़ने के लिए मुझे यह सामग्री बहुत पसंद आई, इसे पढ़ने के बाद थोड़े ही समय में एक तीव्र संघर्ष मेरे मस्तिष्क में अपना स्थान बनाने लगा और तब से मैं युद्ध तथा सैनिक मामलों से जुड़ी उस घटना को बारीकी से जानने के लिए उत्सुक रहने लगा।

 फ्रांसीसी जर्मन युद्ध की वह कहानी मेरे लिए कई अन्य कारणों में से भी महत्वपूर्ण थी मेरे मस्तिष्क में हालांकि उस समय यह सब अस्पष्ट था कि क्या युद्ध में लड़ने वाले जर्मन निवासियों और अन्य जर्मन निवासियों में कोई अंतर है अगर है तो वह क्या है ऑस्ट्रिया ने इस युद्ध में भाग क्यों नहीं लिया मेरे पिता और अन्य लोगों ने उस संघर्ष में भाग क्यों नहीं लिया क्या हम जर्मन निवासी अन्य जर्मन निवासियों की तरह नहीं है क्या हम एक दूसरे से परस्पर जुड़े हुए नहीं हैं।

यह पहला अवसर था कि जब इस समस्या ने मेरे छोटे से मस्तिष्क को उत्तेजित करना प्रारंभ कर दिया, मेरे पिताजी ने मन ही मन यह विचार बनाया कि उनका लड़का एक सरकारी कर्मचारी बन जाए, वास्तव में उन्होंने मेरे लिए यह व्यवसाय बहुत पहले से ही तय कर लिया था, मेरे पिताजी कभी सोच भी नहीं सके होंगे कि मैं उस सब को नकार दूंगा जो उनके अपने जीवन के लिए बहुत कुछ था। 

उस समय मेरी आयु 11 वर्ष की थी जहां मेरे पिता कठोर और दृढ़ निश्चय के व्यक्ति थे वहां उनका लड़का भी ऐसे विचारों को नकारने में कम जिद्दी नहीं था लड़के के लिए तो उनके विचारों का कोई मूल्य नहीं था

हिटलर का सरकारी नौकर न बनने का निश्चय अटल था, उनके विचार थे, कि यह सोच कर मेरा दिल कांप जाता था कि एक दिन मुझे सरकारी स्टूल से बांध दिया जाएगा, तथा मैं अपनी इच्छा के अनुसार समय नहीं बिता पाऊंगा, बल्कि मुझे फॉर्म भरते हुए ही सारी आयु काटनी पड़ेगी।

मेरा अपना पक्का निर्णय था कि मैं सरकारी कर्मचारी नहीं बनूंगा, उस समय मेरी आयु केवल 12 वर्ष की थी, एक दिन मुझे स्पष्ट रूप से लगा, कि मैं चित्रकार अर्थात एक कलाकार बनूंगा, जब मैंने मेरे पिता की मनचाही योजना को मानने से इनकार कर दिया, तो मेरे पिता ने पहली बार मुझसे पूछा, तुम क्या करना चाहते हो, क्या तुम एक कलाकार अर्थात एक रंगकर्मी बनोगे, मेरे पिता ने साफ कह दिया कि मैं कलाकार बनने की आशा छोड़ दूं, मैं एक कदम और आगे बढ़ा, और मैंने घोषणा कर दी, कि मैं कलाकार के सिवाय और कुछ नहीं बनूंगा, स्थिति की विषमता को देखकर मैंने चुप्पी साध ली, और अपने निर्णय को अमल में लाना शुरू कर दिया।

देखा जाए तो मेरा सबसे लोकप्रिय विषय भूगोल था, उससे भी बढ़कर सामान्य इतिहास मुझे विशेष प्रिय था यह दोनों विषय मेरी रुचि के थे और इनमें मैं कक्षा में सबसे आगे था।

मैं जब बीते वर्षो की ओर मुड़कर देखता हूं, और उन दिनों के अपने अनुभवों के परिणाम का विश्लेषण करता हूं, तो दो अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर मेरी आंखों के सामने आ जाते हैं : प्रथम मेरा राष्ट्रवादी बनना तथा दूसरा मेरा इतिहास को सही अर्थ में समझने लगना।

आज जबकि मेरी राजनीतिक विरोधी मेरे जीवन में बड़ी होशियारी से ताक झांक और उधेड़ बुन करते हैं, तो मुझे अपने बचपन के वे दिन याद आ जाते हैं, और मैं स्वयं चकित हो उठता हूं, कि मैं जवानी में किस प्रेरणा से प्रकृति का अनुरागी था, आज मैं अपने कार्य को उचित समझता हूं, जब मैं खुशी के उन दिनों की ओर मुड़ कर देखता हूं, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होती है, और उनकी याद से मुझे काफी राहत मिलती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दौलत मनुष्य की सोचने की क्षमता का परिणाम है

आपका मस्तिष्क असीमित है यह तो आपकी शंकाएं हैं जो आपको सीमित कर रही हैं दौलत किसी मनुष्य की सोचने की क्षमता का परिणाम है इसलिए यदि आप अपना जीवन बदलने को तैयार हैं तो मैं आपका परिचय एक ऐसे माहौल से करवाने जा रहा हूं जो आपके मस्तिष्क को सोचने और आपको ज्यादा अमीर बनाने का अवसर प्रदान करेगा।  अगर आप आगे चलकर अमीर बनना चाहते हैं तो आपको एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके दरमियान 500 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हो ऐसा कह सकते हैं कि वह एक इंडस्ट्रियलिस्ट होना चाहिए या एक इन्वेस्टर होना चाहिए उसको यह मालूम होना चाहिए की इन्वेस्टमेंट कैसे किया जाए। जिस प्रकार व अपनी दिमागी क्षमता का इन्वेस्टमेंट करता है उसी प्रकार उसकी पूंजी बढ़ती है यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपनी दिमागी क्षमता का किस प्रकार इन्वेस्टमेंट करें कि उसकी पूंजी बढ़ती रहे तभी वह एक अमीर व्यक्ति की श्रेणी में उपस्थित होने के लिए सक्षम होगा। जब कोई व्यक्ति नौकरी छोड़ कर स्वयं का व्यापार स्थापित करना चाहता है तो इसका एक कारण है कि वह अपनी गरिमा को वापस प्राप्त करना चाहता है अपने अस्तित्व को नया रूप देना चाहता है कि उस पर किसी क...

जीवन को समझे,अपने विचारों को उद्देश्य में परिवर्तित करें

जीवन को समझने के लिए आपको पहले अपने आप को समझना होगा तभी आप जीवन को समझ पाएंगे जीवन एक पहेली नुमा है इसे हर कोई नहीं समझ पाता,  लोगों का जीवन चला जाता है और उन्हें यही पता नहीं होता कि हमें करना क्या था हमारा उद्देश्य क्या था हमारे विचार क्या थे हमारे जीवन में क्या परिवर्तन करना था हमारी सोच को कैसे विकसित करना था,  यह सारे बिंदु हैं जो व्यक्ति बिना सोचे ही इस जीवन को व्यतीत करता है और जब आखरी समय आता है तो केवल कुछ व्यक्तियों को ही एहसास होता है कि हमारा जीवन चला गया है कि हमें हमारे जीवन में यह परिवर्तन करने थे,  वही परिवर्तन व्यक्ति अपने बच्चों को रास्ता दिखाने के लिए करता है लेकिन वे परिवर्तन को सही मुकाम तक पहुंचाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं यह तो उनकी आने वाली पीढ़ी को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है,  कि उनकी पीढ़ी कहां तक सक्षम हो पाई है और अपने पिता के उद्देश्य को प्राप्त कर पाने में सक्षम हो पाई है या नहीं, व्यक्ति का जीवन इतना स्पीड से जाता है कि उसके सामने प्रकाश का वेग भी धीमा नजर आता है, व्यक्ति अपना अधिकतर समय बिना सोचे समझे व्यतीत करता है उसकी स...

आत्मविश्वास से बोलने की कला कैसे विकसित करें?

द गिनीज बुक ऑफ़ लिस्ट्स के अनुसार 54 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक रूप से बोलने के डर को मौत के डर से भी ज़्यादा डरावना मानते हैं। यह मीटिंगों में शिरकत करने और अपने समकक्षों के सामने बोलने वाले लोगों पर लागू होता है। कई मामलों में लोग इतने संकोची और भयभीत होते हैं कि वे पूरी मीटिंग में चुपचाप बैठे रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि कोई उन पर गौर नहीं करेगा। कई बार मैं अपनी प्रस्तुतियाँ यह बताकर शुरू करता हूँ कि सार्वजनिक रूप से बोलने का डर सबसे यातना भरे डरों में से एक है और यह अक्सर लोगों को वह हासिल करने से पीछे रखता है, जो उनके लिए संभव है। मैं उनसे कहता हूँ, कि आइए मैं इस डर को प्रदर्शित करता हूँ और यह भी बताता हूँ कि यह लोगों को कैसे पीछे रोककर रखता है। फिर मैं कहता हूँ, कि "इस प्रस्तुति में बाद में मैं श्रोताओं से किसी को चुनूँगा और उसे मंच पर बुलाकर एक संक्षिप्त प्रस्तुति देने को कहूँगा कि उन्होंने क्या सीखा है और इस व्याख्यान के फलस्वरूप वे क्या अलग करने वाले हैं।" मैं श्रोताओं पर अपनी निगाह घुमाता हूँ, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के चेहरे तक जाता हूँ, जैसे मैं यह निर्णय लेने...