हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...
जर्मनी की कुछ ऐसी घटनाएं हैं उन घटनाओं ने हिटलर को काफी प्रभावित किया है उनमें से कुछ घटनाएं इस प्रकार है इन घटनाओं ने हिटलर को एडोल्फ हिटलर बना दिया :
दक्षिणी जर्मनी में सन 1800 में "जर्मनी का घोर अपमान" शीर्षक से एक पुस्तिका छपी, इस पुस्तक का विवरण करने वालों में न्यूरमबर्ग का पुस्तक विक्रेता जाहन्ज फिलिप पल्म भी था, उसे एक बवेरियन एजेंट ने फ्रांसीसियों को सौंप दिया, लेकिन मुकदमे के समय उसने लेखक का नाम बताने से इनकार कर दिया, अतः 26 अगस्त 1806 को नेपोलियन के आदेश से उसे ब्राउनाउ ऑन द इन में गोली से उड़ा दिया गया,
इस स्थान पर उसकी याद एक स्मारक बनाया गया, जनता द्वारा बनाए गए शहीद स्मारकों के अंतर्गत इस स्थान ने बालक हिटलर को काफी प्रभावित किया।
शलागेटर ब्राह विज्ञान का एक जर्मन विद्यार्थी था, जिसने सन 1914 में सेना में प्रवेश किया, वह एक तोपखाने का अधिकारी बन गया, और उसने दोनों श्रेणियों के "आयरन क्रॉस" जीत लिये, जब फ्रांस ने सन 1923 में रूहर पर कब्जा किया, तो उसने जर्मनी की ओर से सत्याग्रह का संयोजन किया, जिससे फ्रांस में कोयला आसानी से न जा सके, इसलिए उसने और उसके साथियों ने एक रेलवे पुल को उड़ा दिया, जिससे एक जर्मन मुखबिर ने उन सबको फ्रांसिसियों के हवाले कर दिया।
शलागेटर ने पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, और फ्रांसीसी न्यायालय ने उसे मृत्यु दंड दिया, जबकि उसके साथियों को अलग-अलग समय के लिए कारावास या गुलामी की सजा दी गई, शलागेटर ने उनको पहचानने से भी इंकार कर दिया, जिन्होंने उसे पुल उड़ाने का आदेश दिया था, और उसने न्यायालय से माफी मांगने से भी इंकार कर दिया, 26 मई 1923 को एक फ्रांसीसी फौजी दस्ते ने उसे गोली से उड़ा दिया, उस समय सिवयरिंग जर्मनी के गृहमंत्री थे, ऐसा माना जाता है कि शलागेटर की ओर से उन्हें ज्ञापन दिए गए, पर उन्होंने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
इस प्रकार रूहर पर फ्रांसीसी कब्जे को रोकने में वह मुख्य शहीद बन गया, और उसे "राष्ट्रीय समाजवादी आंदोलन" के महान बलिदानियों में से एक माना जाता है, वह बहुत ही जल्दी आंदोलन में शामिल हो गया था उसकी सदस्यता कार्ड की संख्या 61 थी, इस घटना ने भी बालक हिटलर को काफी प्रभावित किया......
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