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कौन सा काम महत्वपूर्ण है, कौन सा काम अनिवार्य है, कौन सा काम सामान्य है

अक्सर हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है कि हमारे सामने जो काम आता है, हम उसे करने लग जाते हैं और इस वजह से हमारा सारा समय छोटे-छोटे कामों को निबटाने में ही चला जाता है। हमारे महत्वपूर्ण काम सिर्फ़ इसलिए नहीं हो पाते, क्योंकि हम महत्वहीन कामों में उलझे रहते हैं। महत्वाकांक्षी व्यक्ति को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि सफलता पाने के लिए यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण काम पहले किए जाएँ। हमेशा याद रखें कि सफलता महत्वहीन नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण कामों से मिलती है, इसलिए अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट रखें और अपना समय महत्वहीन कामों में न गँवाएँ। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का तीसरा सिद्धांत है : सबसे महत्वपूर्ण काम सबसे पहले करें। समय के संबंध में अपनी प्राथमिकताएँ तय करने का एक उदाहरण देखें। 'एक मशहूर संगीतज्ञ जब वायलिन बजाना सीख रही थीं, तो उन्होंने पाया कि उनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। कारण खोजने पर उन्हें पता चला कि संगीत का अभ्यास करने से पहले घर साफ़ करने, सामान व्यवस्थित करने, खाना पकाने आदि कार्यों में उनका बहुत समय लग जाता है, इसलिए उन्हें वायलिन के अभ्यास के लिए कम समय मिल पाता ह

"हिटलर" एडोल्फ हिटलर कैसे बना

जर्मनी की कुछ ऐसी घटनाएं हैं उन घटनाओं ने हिटलर को काफी प्रभावित किया है उनमें से कुछ घटनाएं इस प्रकार है इन घटनाओं ने हिटलर को एडोल्फ हिटलर बना दिया :

सन 1792 से 1814 तक फ्रांसीसी क्रांतिकारी सेनाओं ने जर्मनी को अपने कब्जे में ले रखा था, होइनलिंडन में हुई ऑस्ट्रिया की पराजय में बवेरिया का भी हाथ था, फ्रांसिसियों ने म्यूनिख पर कब्जा कर लिया, सन 1805 में नेपोलियन ने बवेरियन डलेक्टर को बवेरिया का राजा बना दिया, और बदले में उसने 30,000 सैनिकों को जुटाकर प्रत्येक युद्ध में नेपोलियन की सहायता की, इस तरह बवेरिया पूरी तरह से फ्रांसिसियों की जागीर बन गया, यह जर्मनी के घोर अपमान का समय था, इस घटना ने बालक हिटलर को बहुत प्रभावित किया था।

दक्षिणी जर्मनी में सन 1800 में "जर्मनी का घोर अपमान" शीर्षक से एक पुस्तिका छपी, इस पुस्तक का विवरण करने वालों में न्यूरमबर्ग का पुस्तक विक्रेता जाहन्ज फिलिप पल्म भी था, उसे एक बवेरियन एजेंट ने फ्रांसीसियों को सौंप दिया, लेकिन मुकदमे के समय उसने लेखक का नाम बताने से इनकार कर दिया, अतः 26 अगस्त 1806 को नेपोलियन के आदेश से उसे ब्राउनाउ ऑन द इन में गोली से उड़ा दिया गया,
 इस स्थान पर उसकी याद एक स्मारक बनाया गया, जनता द्वारा बनाए गए शहीद स्मारकों के अंतर्गत इस स्थान ने बालक हिटलर को काफी प्रभावित किया।

शलागेटर ब्राह विज्ञान का एक जर्मन विद्यार्थी था, जिसने सन 1914 में सेना में प्रवेश किया, वह एक तोपखाने का अधिकारी बन गया, और उसने दोनों श्रेणियों के "आयरन क्रॉस" जीत लिये, जब फ्रांस ने सन 1923 में रूहर पर कब्जा किया, तो उसने जर्मनी की ओर से सत्याग्रह का संयोजन किया, जिससे फ्रांस में कोयला आसानी से न जा सके, इसलिए उसने और उसके साथियों ने एक रेलवे पुल को उड़ा दिया, जिससे एक जर्मन मुखबिर ने उन सबको फ्रांसिसियों के हवाले कर दिया।
शलागेटर ने पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, और फ्रांसीसी न्यायालय ने उसे मृत्यु दंड दिया, जबकि उसके साथियों को अलग-अलग समय के लिए कारावास या गुलामी की सजा दी गई, शलागेटर ने उनको पहचानने से भी इंकार कर दिया, जिन्होंने उसे पुल उड़ाने का आदेश दिया था, और उसने न्यायालय से माफी मांगने से भी इंकार कर दिया, 26 मई 1923 को एक फ्रांसीसी फौजी दस्ते ने उसे गोली से उड़ा दिया, उस समय सिवयरिंग जर्मनी के गृहमंत्री थे, ऐसा माना जाता है कि शलागेटर की ओर से उन्हें ज्ञापन दिए गए, पर उन्होंने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। 

इस प्रकार रूहर पर फ्रांसीसी कब्जे को रोकने में वह मुख्य शहीद बन गया, और उसे "राष्ट्रीय समाजवादी आंदोलन" के महान बलिदानियों में से एक माना जाता है, वह बहुत ही जल्दी आंदोलन में शामिल हो गया था उसकी सदस्यता कार्ड की संख्या 61 थी, इस घटना ने भी बालक हिटलर को काफी प्रभावित किया...... 

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