हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं। ...
रुपए का अवमूल्यन आर्थिक संकट को स्पष्ट करता है जिसमें रुपए की कीमत गिर के नीचे आ जाती है और व्यक्ति की जरूरतमंद चीजों का भाव बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे व्यक्ति की जेब से पैसा खत्म होता जाता है और उसे पता ही नहीं है कि यह पैसा कैसे खत्म हो गया।
व्यक्ति की जेब में पैसा कब आता है जब बाजार में सामान की कीमत गिरती है और व्यक्ति को सामान कम कीमत में प्राप्त होता है जब सामान कम कीमत में प्राप्त होता है तो उसकी जेब में पैसा बचना शुरू हो जाता है।
जिसके फलस्वरूप यह माना जा सकता है कि बाजार में आर्थिक संकट नहीं है बल्कि बाजार तेजी की ओर अग्रसर हो रहा है।
इसके विपरीत अगर देखा जाए तो वर्ष 1997 में एशिया में आर्थिक संकट आया था जिसमें स्थानीय करेंसी रूपया का कुछ ही महीनों में 85 प्रतिशत तक अवमूल्यन हो गया।
जब रुपए का अवमूल्यन होता है तो देश में आर्थिक संकट उत्पन्न होता है और सामान की कीमतों के भाव बढ़ने लगते हैं और कुछ ही समय में सामान की कीमतों के भाव दुगने हो जाते हैं।
जब रुपए का अवमूल्यन होता है तो इसमें मुख्य भूमिका सरकार चलाने वाले उन राजनीतिज्ञों की होती है जो आर्थिक विकास की बात करते हैं और सरकार का आर्थिक विकास के नाम पर जो ब्यौरा जनता को प्रस्तुत किया जाता है वह केवल ब्यौरा मात्र होता है उसका विकास से कोई लेना देना नहीं होता है अगर उसका विकास से लेना-देना होता तो सरकार का प्रमुख मुद्दा जनसंख्या नियंत्रण का होता।
देश आजाद होने से लेकर आज तक सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रण करने का प्रयास कभी नहीं किया,जनसंख्या को नियंत्रण नहीं करने में सरकार को ही फायदा है इसमें राजनीति करने वाले को वोट प्राप्त करने में आसानी होती है सरकार स्वयं चाहती हैं कि जनता का विकास, विकास न होकर विकासशील ही रहे तभी हमें वोट प्राप्त करने में आसानी होगी, इसे आप जनसंख्या की राजनीति ना कह कर वोट बैंक की राजनीति कह सकते हैं जो राज करने के दायरे को स्पष्ट करता है।
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